मेरा प्रिय हनुमान
समझ नहीं आता तुझ पे गजल लिखूं या सायरी
कविता लिखूं या गीत
ऐसा क्या लिखूं की तेरा पूरा वर्णन कर सकू
कहानी लिखूं या पूरी एक किताब
समझ नही आता तेरी मेरी कहानी कैसे लिखूं
जब कभी भी में लिखने बैठू,
लगता है की कहा से शुरू करू
तेरे रूप का वर्णन करू
या तुम्हारे साफ चरित्र का?
तू मुझ में कुछ इस तरह बसा है की में चाह कर भी तुझे अपने आप से दूर न कर पाई
मेरी कविता का बोल है तू...
कविता लिखूं या गीत
ऐसा क्या लिखूं की तेरा पूरा वर्णन कर सकू
कहानी लिखूं या पूरी एक किताब
समझ नही आता तेरी मेरी कहानी कैसे लिखूं
जब कभी भी में लिखने बैठू,
लगता है की कहा से शुरू करू
तेरे रूप का वर्णन करू
या तुम्हारे साफ चरित्र का?
तू मुझ में कुछ इस तरह बसा है की में चाह कर भी तुझे अपने आप से दूर न कर पाई
मेरी कविता का बोल है तू...