...

4 views

ताज़गी
थोड़ी -थोड़ी सर्द थी हवा,
थोड़ा खुशनुमा दिन भी हुआ था,
थी सोंधी महक वाह ताज की,
दिल उनके होने से धड़का जरा था;
गर्माहट उनके बातों की;
इन निग़ाहों से पढ़े थे हमने,
मोहब्बत के फतवे;
कि काश! यूंही वक्त बीतता रहे!

© MJMishra