...

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समय का माड़ और हमारा रिश्ता


वो जो हमे देख कर आहे भरते थे,
आज गहरी सांसें लेने लगते है।

वो जो हमारे बिना सोते नहीं थे,
आज आते आते खराटें लेने लगते है।

वो जो हमें अपनी बाजू में सुलाते थे,
आज हमें पीठ कर सो जाते है।

वो जो हमें अपनी पहली निवाला थाली से खिलाते थे,
आज ...