...

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अंकों से मेरी कुछ बनती नहीं
जब भी होती गणित तासिका
होता मन में एक उबाल
सर कहते एक बार-बार
पर हम लिखते चार हरबार |

असल गुस्सा तो तब आता
जब करते हम गणित के नियमों का कत्ल
क्रोध में फिर सर कहते
यू क्यों तुम हो बहते |

जल्द बाज़ी में तो
पाँच अधिक पाँच ग्यारह लिखते
फिर सही जवाब ना मिलने पर
सिर खुजाते पेन लेकर|

सर हमेशा कहते हमसे
यू गलतियाँ कर न हात धो अंकों से
पर कैसे बताउँ उन्हें यही
कि अंकों से मेरी कुछ बनती नहीं |

~G. Neha #drmr



This was actually my condition when I was in my Eighth grade.😅But now when I think of those mistakes I just laugh at me. But now I am happy to know that they are part of my past.😌😌