मन की दराज़
मन की अलमारी यूँ तो खाली दिखती है,
पर जब बहुत गहराई में उतरो,
तो इसकी दराज़ों में दिखते हैं,
तुम्हारे दिए ख़त, तुम्हारे लिखे हुए कुछ पन्ने,
जिन्हें कोई और देखेगा तो शायद उसे कुछ भी ना दिखाई देगा,
मग़र...
पर जब बहुत गहराई में उतरो,
तो इसकी दराज़ों में दिखते हैं,
तुम्हारे दिए ख़त, तुम्हारे लिखे हुए कुछ पन्ने,
जिन्हें कोई और देखेगा तो शायद उसे कुछ भी ना दिखाई देगा,
मग़र...