...

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अकेलापन
राह से काँटा हटाया नही किसी ने,
तेरे बाद दिल लगाया नही किसी ने।

गला फ़ाड़-फाड़ के आवाज़ देता रहा,
मेरी चीख़ पर ग़ौर फ़रमाया नही किसी ने।

धीरे-धीरे तन्हाईयाँ खां गईं मुझको,
साथ मेरा लेकिन निभाया नही किसी ने।

फूट-फूट कर रोया दुनिया ज़माने के सामने,
मेरी पलकों को लेकिन सुखाया नही किसी ने।

सब छोड़-छोड़ गए मुझको अकेला सदा,
लगा सीने से मुझे सुकून पहुंचाया नही किसी ने।

मौत से मिलाते रहे लोग मुझे अक़्सर लेकिन,
मेरी ज़िंदगी से मुझको मिलाया नही किसी ने।

अकेलापन
बेदर्द लोग

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