...

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काश तुम होते
शून्य से निकला था शून्य में विलीन हो गया,
इश्क़ में तेरे मैं खुदसे ही खो गया ,
जंगल का एक सिंह शक्ति विहीन हो गया,
देखो ना ,अब मैं तो शब्द विहीन हो गया।

कितने मुस्स्सकत से जगा था फिरसे सो गया ,
रातों का सकूँ और दिन का चैन खो गया,
यादें मैं तेरे अब हमेशा के लिए सो गया,
देखो ना, अब मैं तो शब्द विहीन हो गया।

जीवन का साथ अब छूट गया
जीवन साथी से नाता अब टूट गया
मेरा मन भी मुझसे अब रूठ गया
शब्दों से भी जो अपना साटा-बाटा अब वो भी टूट गया।

काश ,तेरे इश्क़ के समंदर में गोते लगा पता,
तेरी बाहों में सोते चला जाता,
तेरी इन आँखो में खोते चला जाता।

काश तुम होती हां , मैं होता और
वक़्त होता
तेरी ज़ुल्फ़ों की घनेरी रातों में सोता ,
तेरे गोद में सिर रख के ख़यालों में खोता,
काश तेरा होना भी होता।

© Akash dey