...

4 views

Mind-nature v/s SOUL-nature
यूँ तो दुनिया आप ही चलाते हैं, प्रभूजी...,
पर मन को गुमान यही है, अब तक...,
जिसका समाधान, अब तक न मिला,
"मैं" उसे सुलझा क्यों नहीं सकता...,

निरंतर विचारों में मग्न,ये मन...,
समय की दस्तकों को सुन ही नहीं पाता..,
और कहता है, कोई मुझे समझ ही नहीं पाता...,
मृगतृष्णा सा ये जीवन, जब हो जाता है,
भटकता हैं, ज़माने में दर - बदर बड़ा,
भूलकर अपने भीतर के अमृत को,
वो प्यासा ही रह जाता है,
ओ प्रभूजी,
तुमसे क्या छिपा है, जो हम बताएं...
जीवन पथ के ये नाज़ुक, हालात...
तेरी कृपा के बिन, कैसे सुलझाए...

है बहोत कमियां, मुझमें अभी तक...,
रो रो कर और कितने, आँसू बहाये...

विनती सुनिए, प्रभूजी...
हमारा भी उद्धार कीजिये,
नैनो की पवित्र, जलधारा से,
आपके चरण-कमलों का अभिषेक हो..
ऐसा वंदन स्वीकार कीजिये...
अनन्य भक्ति हो, जीवन में हमारे.. करुणा हम पर अपार कीजिये...
ओ दीनों के दयाला प्रभूजी...
हमें भी भव - सागर से पार कीजिये।

आभार प्रभूजी।
#prabhukarpa #@Lali9533 #सौंदर्य #निश्छलभाव #प्रार्थना #soul-nature #anteraatma,ki,jaagrati #relationship #artofgiving #आभारप्रभूजी




© nikita sain