मैं भूली नहीं
मैं भूली नहीं
पहली मुलाक़ात हमारी।।
मैं भूली नहीं
वो रात जिसमें हुई थी बात हमारी।।
मैं भूली नहीं
मदिरा के महफ़िल में सजी
जज़्बातों से घिरा वो इज़हार तुम्हारा।।
मैं भूली नहीं
वो भीड़ में हाथ थामना तुम्हारा।।
मैं भूली नहीं
बातों ही बातों में मुझे
वो बहलाना तुम्हारा।।
मैं भूली नहीं
मेरे साथ घूमना तुम्हारा।।
मैं भूली नहीं
पैसों की गर्मी तुम्हारी।।
मैं भूली नहीं
उन आँखों को।।
मैं भूली नहीं
तुम्हारे बस जिस्म की चाह को।।
मैं भूली नहीं
मेरे नज़रों में किसी और को पाना तुम्हारा।।
मैं भूली नहीं
नशे में किसी और को मेरे में खोजना तुम्हारा।।
मैं भूली नहीं
रोज़ मेरे आगे किसी और को याद करना...
पहली मुलाक़ात हमारी।।
मैं भूली नहीं
वो रात जिसमें हुई थी बात हमारी।।
मैं भूली नहीं
मदिरा के महफ़िल में सजी
जज़्बातों से घिरा वो इज़हार तुम्हारा।।
मैं भूली नहीं
वो भीड़ में हाथ थामना तुम्हारा।।
मैं भूली नहीं
बातों ही बातों में मुझे
वो बहलाना तुम्हारा।।
मैं भूली नहीं
मेरे साथ घूमना तुम्हारा।।
मैं भूली नहीं
पैसों की गर्मी तुम्हारी।।
मैं भूली नहीं
उन आँखों को।।
मैं भूली नहीं
तुम्हारे बस जिस्म की चाह को।।
मैं भूली नहीं
मेरे नज़रों में किसी और को पाना तुम्हारा।।
मैं भूली नहीं
नशे में किसी और को मेरे में खोजना तुम्हारा।।
मैं भूली नहीं
रोज़ मेरे आगे किसी और को याद करना...