मै दूर जाना चाहती हूं
अपने दर्द की वजह
अपनो की दी दगा मै सब
भूल जाना चाहती हूं
मै सब से दूर जाना
चाहती .... इतनी दूर
की जब उदासी मेरे
चेहरे पर आए कोई
उसकी वजह ना पूछे
कोई मुझे रोता ना देखे
जब लड़खड़ाए मेरे क़दम
कोई हाथ थाम कर झूठी
उम्मीद मुझे ना बेचे .......
मै नुमाइश नही करना
चाहती अपने दर्द की ,
अब तलाश नही मुझे किसी
हमदर्द की ........
मै समेट लेना चाहती हूं
अपने जज़्बात , सुधारना
चाहती हू अपने हालात
लड़ना चाहती हूं खुद से
समझना...
अपनो की दी दगा मै सब
भूल जाना चाहती हूं
मै सब से दूर जाना
चाहती .... इतनी दूर
की जब उदासी मेरे
चेहरे पर आए कोई
उसकी वजह ना पूछे
कोई मुझे रोता ना देखे
जब लड़खड़ाए मेरे क़दम
कोई हाथ थाम कर झूठी
उम्मीद मुझे ना बेचे .......
मै नुमाइश नही करना
चाहती अपने दर्द की ,
अब तलाश नही मुझे किसी
हमदर्द की ........
मै समेट लेना चाहती हूं
अपने जज़्बात , सुधारना
चाहती हू अपने हालात
लड़ना चाहती हूं खुद से
समझना...