...

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पड़ोसी दुनिया

पक्के मकानों की, इस गली को देखो
हम नए किरायेदार हैं, हम ही को देखो

सामान थोड़ा कम, और हसरतें ज़्यादा है
जुटा लेंगे ऐशो-आराम, तुम बस रुको और देखो

ये मोहल्ले में कपड़े सुखाती, बेजान दीवारें
कोई धूप में कब बाल सँवारे, जल्दी से घड़ी देखो

खनकती चूड़ियाँ, रोटी को बेले गोल करके
है दाल में, क्या लहसुन का तड़का, खुश्बूं तो देखो

अभी तक मांसाहारी...