...

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वक़्त
सुनो ना,
वक़्त की भी एक बात अच्छी है वो जब समझ आ जाता है तो वो अच्छा या बुरा हो हम उसने ज़िंदगी बसर कर लेते है!

वक़्त की कमी होती है, उसमें से अगर कुछ वक़्त तुम्हें देता हूँ तो यह नहीं है कि मैं सिर्फ़ मज़बूरी मेें वो वक़्त निकालता हूँ.... चाहत मुझे भी है तुम्हारी ओर फ़िक्र भी है।
© कृष्णा'प्रेम'