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/ग़ज़ल :खता बस एक थी मुझको अदाकारी नहीं आई/बह्र : १२२२ १२२२ १२२२ १२२२
१२२२ १२२२ १२२२ १२२२
करूं उस्ताद से तुलना समझ ऐसी नहीं आई
मियां मुझको अभी कोई ग़ज़लकारी नहीं आई

ये वादा था कि होगी रोशनी हर एक चौखट पर
दिवाली पे हमारे गांव में बिजली नहीं आई

हमीं ने है बिगाड़ा इस कदर कुछ भार धरती का
दिसंबर आ गया लेकिन अभी ...