...

7 views

मन मतवाला
मेरे मौन मन से मत पूछो मैंने आज तक इसे कैसे संभाला है,
यह पागल आवारा दीवाना हर बार करें गड़बड़ घोटाला है,
बर्बादी के तुफान से जब भी मैंने जीवन की कस्ती को बाहर निकाला है,
इस मन की नासमझी ने फिर से जीवन को मुसीबत में डाला है,
इस मन के मत पर चलने वाले का एक दिन हुआ मुंह काला है,
कभी कभी तो यह लगें कि मेरे मन को बर्बादी के अंधेरों का शौक है और बाकी दुनिया को पसंद आबादी का उजाला है।
© DEV-HINDUSTANI