...

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मोबाइल
यह कविता मेरी दादी ने आज बनाई।
वो 80 वर्ष की हैं।
इससे पहले कि वो भूल जातीं, उन्होने मुझे आकर अपने शब्द सुनाए और कहा कि इसे तू अच्छे से लिख ले।
तो ये कविता मेरी दादी की कही पंक्ति्‍यों में थोड़ी फेर बदल कर लिखी है।
भाव वही हैं।


पहले उठने के आलस पर भी बच्चे उठ जाते थे
किताबों में उलझे, फिर शाम को दौड़ लगाते थे,
अब सुबह उठते ही मोबाइल लेके बैठ...