...

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सात फेरे
साथ,फेरे लिए बिना ही
सात फेरों के सातों वचन,
बताओ निभाओगे क्या?
दूर रहकर भी
हालातों की धूप में,
मेरे साथ जल पाओगे क्या?
पास नहीं हैं,
मिलना भी मुमकिन नहीं,
पर जिंदगी के हर सुख- दुःख में
मेरे साथ चल पाओगे क्या?
तक़दीर में ना सही,
दिल में तो हैं ना हम एक-दूसरे के
दिल धड़कने तक,
बोलो साथ निभाओगे क्या?
किसी वचन, किसी रस्म की
जरूरत नहीं मुझको क्योंकि
दिल हूं मैं तुम्हारे और
दिल तो होता वामांग में
इसलिए मैं दिल बनकर
हमेशा तुम्हारी वामांगी रहूंगी,
इतना यकीन है।
तुम बताओ,मुझ पर इतना
यकीन कर पाओगे क्या???