इश्क के किस्से
इश्क़ के किस्से..
हाय रे ये मोहल्ले में रोज़ रोज़ इश्क के किस्से
कौन हुआ बरबाद लैला आयी किसके हिस्से
जब अक्ल पर पड़ें नयी उम्र के चमकीले पर्दे
मोहब्बत के सारे एहसास लगे एकदम सच्चे
सम्भल जाओ कि वक़्त गुज़रा है निकला नहीं
छूटा जो वक्त किसी से फिर वो सम्भला नहीं
है जो तुम्हारा ख़ुद से पहले मंज़िल दिखायेगा
कामयाबी की ऊँचाई तक धकेल ले जायेगा
अफ़सोस ऐसा सदी में अब एक बार होता है
सच्ची चाहतों के नाम पर रोज़ वार होता है
NOOR EY ISHAL
जनहित में जारी..
© All Rights Reserved
हाय रे ये मोहल्ले में रोज़ रोज़ इश्क के किस्से
कौन हुआ बरबाद लैला आयी किसके हिस्से
जब अक्ल पर पड़ें नयी उम्र के चमकीले पर्दे
मोहब्बत के सारे एहसास लगे एकदम सच्चे
सम्भल जाओ कि वक़्त गुज़रा है निकला नहीं
छूटा जो वक्त किसी से फिर वो सम्भला नहीं
है जो तुम्हारा ख़ुद से पहले मंज़िल दिखायेगा
कामयाबी की ऊँचाई तक धकेल ले जायेगा
अफ़सोस ऐसा सदी में अब एक बार होता है
सच्ची चाहतों के नाम पर रोज़ वार होता है
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