...

2 views

इश्क के किस्से
इश्क़ के किस्से..
हाय रे ये मोहल्ले में रोज़ रोज़ इश्क के किस्से
कौन हुआ बरबाद लैला आयी किसके हिस्से

जब अक्ल पर पड़ें नयी उम्र के चमकीले पर्दे
मोहब्बत के सारे एहसास लगे एकदम सच्चे

सम्भल जाओ कि वक़्त गुज़रा है निकला नहीं
छूटा जो वक्त किसी से फिर वो सम्भला नहीं

है जो तुम्हारा ख़ुद से पहले मंज़िल दिखायेगा
कामयाबी की ऊँचाई तक धकेल ले जायेगा

अफ़सोस ऐसा सदी में अब एक बार होता है
सच्ची चाहतों के नाम पर रोज़ वार होता है
NOOR EY ISHAL
जनहित में जारी..
© All Rights Reserved