...

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मैंने अपनी नजरों को दहलीज में रहना सिखाया है।
आज मेरी नजरों ने लड़का जात होने पर अफसोस करवाया है,
एक मासूम को मेरी नजरों में सहमाया है।

आज मेरी जात ने मेरी पाक नजरों को हराया है,
अनजाने में एक चंचल मन को डराया है।

कसूर उस बाल मन का नहीं, उसने तो बस चली आ रही रीत को अपनाया है
यह मुकाम हमने अपने संस्कारों से पाया है।

फिर ना हो किसी की लाडली घुंघट की शिकार,
इसीलिए मैंने खुद को एक नया पाठ पढ़ाया है।

मेरी नजरों को दहलीज में रहना सिखाया है,
आज मेरी जात ने पाक नजरों को हराया है।

Arpit Choudhary