" प्रीत की रीति "
खण्डहर में अब तब्दील कर दो,
घृणा की कहीं अगर दीवार हो।
जनमानस में ये भव भर दो कि
तुम मुहब्बत की मीनार हो।
प्रत्येक हृदय की भित्तियों पर,
संवेदनाओं को चित्रित कर दो।
कूटनीति के ये जो अम्बार हैं,
नीतियों मे परिवर्तित ही कर दो।
सिद्ध कर दो जग पटल पर कि,
मानवता का भी चित्रकार हो।
जनमानस में ये भाव भर दो कि
तुम मुहब्बत की मीनार हो।
चिन्तन का सर्वोच्च शिखर हो,
दूरदर्शिता में नि:संदेह प्रखर हो।...
घृणा की कहीं अगर दीवार हो।
जनमानस में ये भव भर दो कि
तुम मुहब्बत की मीनार हो।
प्रत्येक हृदय की भित्तियों पर,
संवेदनाओं को चित्रित कर दो।
कूटनीति के ये जो अम्बार हैं,
नीतियों मे परिवर्तित ही कर दो।
सिद्ध कर दो जग पटल पर कि,
मानवता का भी चित्रकार हो।
जनमानस में ये भाव भर दो कि
तुम मुहब्बत की मीनार हो।
चिन्तन का सर्वोच्च शिखर हो,
दूरदर्शिता में नि:संदेह प्रखर हो।...