...

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कान्हा
तेरी बातें दिल पर यूँ लगी है जैसे कोई तलब उठी है।

तेरे ही दर रह जाने को दिल करता है जैसे कोई आस उठी हैं।

सब से टूट कर तेरे कदमों में आ बिखरी हूँ। जैसे कोई माला का मोती हो उठी है।

तुझसे जी लग गया मोहन अब क्या दुनिया से बैरी रही हैं।

चाहत कुछ नहीं मेरी जब से तेरी दिवानी हुई हैं। सब फिका है, अब तो कान्हा जब से तेरी प्रित जगी हैं।

तेरे दर आकर माला में फूल पिरोऊँगी, तेरी सूरत पर वारी रहूंगी, तू किताना प्यारा है जो मुझे देखता है,
तेरी नज़रे अब तो कहर ढा रही हैं|
© alone