एक सलाम सच्चे नायकों के नाम
है जिनकी देन से आज सवेरा,
जो देके लबों पर गीत गये,
सौ बार नमन है कम बेशक,
उनको जो आखिर जीत गये!
सीने पर गोली खाकर भी ,
जो बस आगे ही बढ़ते रहे,
सांस ना छूट गई जब तक,
वो फिरंगियों से लड़ते रहे,
खूं मे लथपथ थे पर उनको,
थोडी थकन ना आती थी,
पांव के छाले उनके लहु मे,
जीत की अगन लगाती थी,
बंदूक की ठोकर सह-सह कर,
कंधे जब जख्मी हो जाते,
बांध खपाच को कंधे पर,
वो शूरवीर फिर डट जाते,
भेंट मे...
जो देके लबों पर गीत गये,
सौ बार नमन है कम बेशक,
उनको जो आखिर जीत गये!
सीने पर गोली खाकर भी ,
जो बस आगे ही बढ़ते रहे,
सांस ना छूट गई जब तक,
वो फिरंगियों से लड़ते रहे,
खूं मे लथपथ थे पर उनको,
थोडी थकन ना आती थी,
पांव के छाले उनके लहु मे,
जीत की अगन लगाती थी,
बंदूक की ठोकर सह-सह कर,
कंधे जब जख्मी हो जाते,
बांध खपाच को कंधे पर,
वो शूरवीर फिर डट जाते,
भेंट मे...