जीत समझते थे जिसे उस हार से
कदमों में मेरे कभी कोई
आतुरता नहीं रहती
दृढ़ साथ ही सजग
अनंत गान में जैसे लयबद्ध हो,
हूं बहता सृष्टि सम्राट के
🎼🎼
मनमोद आकंठ आनंद में डुबा
ज़र्रे ज़र्रे से यह कहता
माधुर्यता से भरी इस...
आतुरता नहीं रहती
दृढ़ साथ ही सजग
अनंत गान में जैसे लयबद्ध हो,
हूं बहता सृष्टि सम्राट के
🎼🎼
मनमोद आकंठ आनंद में डुबा
ज़र्रे ज़र्रे से यह कहता
माधुर्यता से भरी इस...