लड़ाई समाज के खिलाफ
इस समाज को कुछ सिखाना चाहती हूँ
लड़कियों के भी सपनें और ख्वाइशें होती हैं
ये बताना चाहती हुँ
ये समाज जो अब तक सिखाता रहा मुझे
मेरी ज़िंदगी जीने के सलीक़े
इसी समाज की हर बंदिश को आज तोड़ देना चाहती हूँ
अब बस बहुत हुआ.....
नहीं जिया जाता अब घुट घुट कर
मुझे सजा मंजूर है अब खुद के लिए जीने की
पर समाज की बनाई बंदिशें अब चुभने लगी हैं हर दिन
अब...
लड़कियों के भी सपनें और ख्वाइशें होती हैं
ये बताना चाहती हुँ
ये समाज जो अब तक सिखाता रहा मुझे
मेरी ज़िंदगी जीने के सलीक़े
इसी समाज की हर बंदिश को आज तोड़ देना चाहती हूँ
अब बस बहुत हुआ.....
नहीं जिया जाता अब घुट घुट कर
मुझे सजा मंजूर है अब खुद के लिए जीने की
पर समाज की बनाई बंदिशें अब चुभने लगी हैं हर दिन
अब...