दोस्ती
ग़र मुझसे मृत्यु के बाद ये रब पूछे,क्या है सच्ची दोस्ती का फल
मैं कहूंगा रूक जरा, याद करलू वो चंद खुशियों के नाजुक पल
वो हो पांचवीं,सातवीं या नौवीं हमेशा रहे ही मेरे मित्र मेरे हमसफर
खोजने पर भी कभी ना मिल पाएंगे वैसे मित्र दुनियाभर में आजकल
वो हो प्रथम वर्ष में ही आंखों के गीलेपन को भाप लेना
या हो काउंसिल मे सदैव हर वक्तव्य पर मेरा साथ देना
कभी होने नहीं वाली अशक्त, दुर्बल या मायूस मित्र मेरी
हे ईश्वर , इसे जीवन में हमेशा जो चाहे वो सर्वस्व देना
हताश तो हुई बहुत है पर मन ना उसका कभी हारा है
उसको पता नहीं उसको कितने लोगों का सहारा है
और क्या हुआ ग़र सफलता इस बार नहीं मिली
अगली बार मंजिल को पाने का तुम्हारे पास इशारा है
और कितनी बातें कर सकता हूँ मैं चंद कागज...
मैं कहूंगा रूक जरा, याद करलू वो चंद खुशियों के नाजुक पल
वो हो पांचवीं,सातवीं या नौवीं हमेशा रहे ही मेरे मित्र मेरे हमसफर
खोजने पर भी कभी ना मिल पाएंगे वैसे मित्र दुनियाभर में आजकल
वो हो प्रथम वर्ष में ही आंखों के गीलेपन को भाप लेना
या हो काउंसिल मे सदैव हर वक्तव्य पर मेरा साथ देना
कभी होने नहीं वाली अशक्त, दुर्बल या मायूस मित्र मेरी
हे ईश्वर , इसे जीवन में हमेशा जो चाहे वो सर्वस्व देना
हताश तो हुई बहुत है पर मन ना उसका कभी हारा है
उसको पता नहीं उसको कितने लोगों का सहारा है
और क्या हुआ ग़र सफलता इस बार नहीं मिली
अगली बार मंजिल को पाने का तुम्हारे पास इशारा है
और कितनी बातें कर सकता हूँ मैं चंद कागज...