कैसे जिएं।
बूंदों में ज़िंदगी ढूंढने वाले,
फिज़ाओं में कायनात ढूंढने वाले।
हम आम ज़िंदगी कहां जी पाते हैं,
कहीं न कहीं ग़लत समझ ही लिए जाते हैं।
ये अंजान रिश्ते नाते दोस्त यार,
ये चक्कर खाती दुनिया की रफ्तार।
हम कैसे...
फिज़ाओं में कायनात ढूंढने वाले।
हम आम ज़िंदगी कहां जी पाते हैं,
कहीं न कहीं ग़लत समझ ही लिए जाते हैं।
ये अंजान रिश्ते नाते दोस्त यार,
ये चक्कर खाती दुनिया की रफ्तार।
हम कैसे...