...

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ग़ज़ल... दीवाने कहाँ जाते
1222,1222,1222,1222

तिरा चेहरा मुसव्विर से हाँ बनवाने कहाँ जाते
न होते गर ये आईने तो शरमानें कहाँ जाते

तिरी ये बेवफ़ाई ने मुझे मशहूर कर डाला
लगातें हम न दिल तुमसे तो पहचानें कहाँ जाते

कि अपना दिल लिए बैठे जो रहतें हैं चौराहों पर
तिरी गलियों में न रूकतें...