तरसना और पैमाना
दूर से आए थे साक़ी सुन के मय-ख़ाने को हम
बस तरसते ही चले अफ़्सोस पैमाने को हम
आह का दरिया बहता है तन्हाई के किनारे पर
हर दर्द दिल का गुज़रता है तेरे दिल तक राह में
जिस्म धड़कता है तेरी यादों की आग में
रूह रोती है तेरी बे-वफ़ाई के ख़ुर्शीद सितारे में
आईना हूँ मैं ख़ुद को देखने का वक़्त ढूँढ रहा
उम्र भर का सफ़र तेरे चेहरे की जाली चित्रों में
ग़ालिब की तरह चले हैं...
बस तरसते ही चले अफ़्सोस पैमाने को हम
आह का दरिया बहता है तन्हाई के किनारे पर
हर दर्द दिल का गुज़रता है तेरे दिल तक राह में
जिस्म धड़कता है तेरी यादों की आग में
रूह रोती है तेरी बे-वफ़ाई के ख़ुर्शीद सितारे में
आईना हूँ मैं ख़ुद को देखने का वक़्त ढूँढ रहा
उम्र भर का सफ़र तेरे चेहरे की जाली चित्रों में
ग़ालिब की तरह चले हैं...