...

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" तेरा कसूर"
जब से गया है तू मुझको छोड़ कर ऐ-काफ़िर,
मेरा घर ही मेरा मैखाना बन गया,
तू राग बनकर शुरों में मिल गया,
मैं गुनगुनाने वाला एक तराना बन गया,
तू ठिकाना बन गया मुसाफिरों का,
मैं मुसाफिर ठिकाने का दीवाना बन गया,
तू मशहूर हो गया जमाने में,
मैं जमाने में ही बेगाना बन गया,
तू थक गया अपने सपनों की उड़ान भरकर,
मैं ख्वाहिशों से भरा तेरा ठिकाना बन गया,
तुझे शौक है ना पुरानी चीजें संभाल के रखने का,
ले देख मैं तेरे लिए एक नजराना बन गया,
कभी फुर्सत मिले तो आना आशियाने में हमारे,
तुम्हें बुलाने का बहाना एक पुराना मिल गया,
जब से गया है तू मुझको छोड़ कर ऐ-काफ़िर,
मेरा घर ही मेरा मैखाना बन गया,
© ✍️Writer-S.K.Gautam1346