आत्मप्रेम की आहट
जहां लफ़्ज़ होंठों पर थम गए,
जहां आँसू आँखों में जम गए।
जीवन ने जब ला खड़ा किया वक़्त के चौराहे पर,
चलते-चलते कदम बर्फ़ की सड़क पर जम गए।
जब दिल पत्थर सा हो गया,
और भावनाएं कहीं खो गईं।
तब प्रेम की वो अनुभूति
मेरे मन-मस्तिष्क में रम गई।
चलता-फिरता शहर अचानक तन्हा लगने लगा,
किसी का सहारा ना था।
ज़ख़्मी दिल की चोट ही
मेरा मरहम बन गई।
मूल्य...
जहां आँसू आँखों में जम गए।
जीवन ने जब ला खड़ा किया वक़्त के चौराहे पर,
चलते-चलते कदम बर्फ़ की सड़क पर जम गए।
जब दिल पत्थर सा हो गया,
और भावनाएं कहीं खो गईं।
तब प्रेम की वो अनुभूति
मेरे मन-मस्तिष्क में रम गई।
चलता-फिरता शहर अचानक तन्हा लगने लगा,
किसी का सहारा ना था।
ज़ख़्मी दिल की चोट ही
मेरा मरहम बन गई।
मूल्य...