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सोशल वेलफेयर
मैंने देखा....

मैंने देखा हरिश्चंद्र कहलाने वाले नाटक ।
अवसर पाकर लूट रहे हैं तोड़ तोड़ कर फाटक ।।

विका समाजवाद मानवता के कोरे सपने में ।
लोकतंत्र सरकार चलाने वाले भी अपने में ।

देखा बड़े बड़े अधिकारी रौब जमाए बैठे ।
अवसर के उपचार किए फिर ठीक ठाक से ऐंठे ।।

न्याय पालिका के विचार का मूल्य मिटाते देखा ।
संसद को भी जनादेश का धूल चटाते देखा ।।

देखा मैंने भूखे प्यासे तड़प रहे भारत को ।
बने सिकंदर के प्रतिनिधि को हड़प रहे आरत को ।।

देखा लूट लूट के आगे सोशल वेलफेयर है ।
इसमें भी अंतिम पड़ाव के आगे तक शेयर है ।।

- सुजान तिवारी
© Sujan Tiwari Samarth