...

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वक़्त
वक़्त.. कहां मेरा था! ये तो बस, गुज़रता गया,
मैं....आज भी यही... सोचता हूं!! कि काश.... ये वक्त मेरा होता!
थोड़ा ही सही!! पर मेरा होता,
तो मैं भी चुन लेता !!! कुछ खुशियों के ताने बाने, कुछ किस्से नये पुराने,
© Dr. Urvashi Sharma