...

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तो समझो विनाश दूर नहीं।
जब राम और कृष्ण से ज़्यादा रावण के वस्त्र बिकने लगे , तो समझो विनाश दूर नहीं।

जब सर्दी के मौसम में गर्मी लगने लगे, तो समझो विनाश दूर नहीं।

जब माँ के हाथों का बना खाना , कड़वा लगने लगे, तो समझो विनाश दूर नहीं।

जब दवा की शीशियों में , ज़हर बिकने लगे, तो समझो विनाश दूर नहीं।

जब धर्मस्थलों पर रोपवे दिखने लगे , तो समझो विनाश दूर नहीं।

जब दिवाली के पटाखों में अजान की आवाज़ ना सुनाई दे, तो समझो विनाश दूर नहीं।

जब मंदिरों में आए दिन चोरियाँ होने लगे, तो समझो विनाश दूर नहीं।

जब चिलकोज़े के भाव में मूँगफली बिकने लगे,...