...

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सोंचती हूँ।
आज को जीते जीते कल को सोंचती हुँ।
हसते गाते पल में गम को खोजती हुँ।
बेरंग दुनिया के आगे कि रंगीन दुनिया सोचती हुँ।
जीने से मरने तक के सफर का सार खोजती हुँ।
कल के आने के पीछे का राज सोचती हुँ।
जो लोग साथ है उनका साथ खोजती हुँ।
अपने अंजान सफर का मुकाम सोचती हुँ।
#love #poem
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