कमी
तकलीफ़ देना था तो आई क्यों
और इसे देना ही था तो अपनी आदत लगाई क्यों
मानता हूं कि गलती हमारी है लेकिन इसे कबूला क्यों
और जानता हूं कि मैं कोई लेखक नहीं लेकिन किसी की कमी को लिखना गुनाह क्यों
और इसे देना ही था तो अपनी आदत लगाई क्यों
मानता हूं कि गलती हमारी है लेकिन इसे कबूला क्यों
और जानता हूं कि मैं कोई लेखक नहीं लेकिन किसी की कमी को लिखना गुनाह क्यों
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