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कैसा पावन था प्रेम मेरा.....❤️❤️
कैसा पावन था प्रेम मेरा
ये आज तुम्हें बतलाते हैं
अपने जीवन की लघु कथा
हम तुमको आज सुनाते हैं
था कोई इक cute सा बंदा,जिसे देख
हम मन ही मन मुस्काते थे
पाने को उसकी एक झलक
हम बिन मतलब ही छत पे जाते थे
यूं तो आते जाते रास्ते में
अक्सर हम टकराते थे
पर कह ना दे वो मन की बात
यह सोंच के हम घबराते थे
था शायद उसके मन में भी
प्रेम का सागर उमड़ रहा
पर कह न सका वो बेचारा
जाने किस से डरा रहा
खैर कुछ दिन बीते ,घड़ियां बीती
फिर शुभ मंगल घड़ी आई
हुआ विवाह दोनो का
रस्में कसमें खाई
आई सुहाग की बेला
फिर दोनो में इज़हार हुआ
मिलकर दोनो हुए एक
फिर जीवन गुलज़ार हुआ
फिर जीवन गुलज़ार हुआ ......👩‍❤️‍👨🙏


© Rekha pal