नए नियम बनाने होंगे।
इतिहास उठा गर देखो तो,
मनुष्य के श्रेष्ठ होना का साक्ष्य मिलता है,
सोचने की विकसित क्षमता से,
हर दिन वो फूलता खिलता है।
बाहरी रूप से कितना बदला ये,
हम सबको निःसंशय ही दिखता है,
लेकिन भीतर से मानव कितना कुंठित है,
ये शक्ल पर उसकी कहाँ दिखता है।
सोचता था आखिर जानवर डरता क्यों,
इंसान से खूंखार है वो तो,
पर सत्य तो ये है कि आज देखो समाज में,
सबसे वहशी हवसी है वो तो।
फूल सी बच्ची देख हवस जगा ले,
ऐसी मर्दानगी को क्या कहे कोई,
रूप मनुष्य का ले राक्षस बना पड़ोसी,
कैसे उसे...