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ख्वाबों का जहां
#घरवापसीकविता
आज जब मैं कहीं दूर निकल गई
सपनों की जहां में
जहां मेरे कई अंगड़े अनसुनी सपना मेरा इंतजार कर रहे थे
उसी में से एक सपना था मेरा आज भी की
क्यों ना आज मैं चलू एक बार ख्वाबों के जहां में अपने बचपन के सफर में
जेलू वह पल फिर से जो मैं जिया करती थी अपने बचपन के दिन में
हमजोलियों के संग खेलना
माता-पिता के साथ घूमने और उनके द्वारा मेरे लिए कई कार्य करना खुश रखने की कोशिश करते।
मेरे बचपन की उन दिनों में सबसे खास बात थी कि मेरे घर उठने अच्छे नहीं थे फिर भी एक कच्चे घर दो कमरे एक...