मठ भोजन निषिद्ध
मिलने अपने मीत से,पहुंचे उनके पास।
मठ में बैठे मिल गए, खाते रोटी खास।।
मठभोजन करते सदा,कोढी हो गए श्वान।
उनकी होगी क्यागति,जो खाए नित दान।।
घरआए मेहमान को,जो मठ में ले जाय।
असर जतावे आपुना,बुद्धि हीन दरसाय।।
कलयुग आया क्रूरतम, आदत खोटी आय।...
मठ में बैठे मिल गए, खाते रोटी खास।।
मठभोजन करते सदा,कोढी हो गए श्वान।
उनकी होगी क्यागति,जो खाए नित दान।।
घरआए मेहमान को,जो मठ में ले जाय।
असर जतावे आपुना,बुद्धि हीन दरसाय।।
कलयुग आया क्रूरतम, आदत खोटी आय।...