प्रियसी
उस अनजान शहर ले जाए प्रियसी,
सपनों के पंख लगाए प्रियसी।
गुनगुन हो धूप जहां,मासूम राहें हो,
घने शाखाओं से, छाया पिघलती हो,...
सपनों के पंख लगाए प्रियसी।
गुनगुन हो धूप जहां,मासूम राहें हो,
घने शाखाओं से, छाया पिघलती हो,...