...

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कोई अर्थ नहीं
कोई अर्थ नहीं इस जीवन का,
गर लड़ते झगड़ते जाए जीवन।
कोई अर्थ नहीं इस जीवन का,
अगर खिलवाड़ करें, अपनी संस्कृति का।
कोई अर्थ नहीं, इस जीवन का,
अगर बड़ों का सम्मान न करें जीवन में।
कोई अर्थ नहीं, ऐसी शिक्षा का,
जब विद्यार्थी आगे पाठ, पीछे सपाट हो।
कोई अर्थ नहीं, ऐसे बच्चों का,
जो कद्र न करें अपने माता-पिता का।
कोई अर्थ नहीं, ऐसी सभ्यता का,
जहां बड़ों से बदजुबानी की जाए।
कोई अर्थ नहीं, ऐसी शिक्षा का,
जो मात पिता को पहुंचा दे वृद्धाश्र।
कोई अर्थ नहीं, ऐसी शिक्षा का,
जब बच्चे माता-पिता को छोड़ , बसा ले अलग बसेरा।
कोई अर्थ नहीं, ऐसे जीवन का,
जहां शहद सा मीठा बोल, पीछे से छुरा भोग दिया जाए।
डॉ अनीता शरण।