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अपना हुनर निखारो
अपना हुनर निखारो,
जैसे निखरता है सवेरा,
रात की गहराई में धैर्य रखकर,
सूरज की कोमल किरणों संग।

अपना हुनर निखारो,
जैसे एक बीज करता है वादा,
मिट्टी की गोद में,
अंधेरे के भीतर,
एक पेड़ बनने का सपना लिए।

मत हो अधीर,
हुनर का सफर धीमा है,
जैसे पत्थर के नीचे से,
नीर बहता है गुपचुप।

अपना हुनर निखारो,
जैसे शब्दों में बुनता है कवि,...