गगन की गोद में...
अनंत हो तुम, विस्मित मैं!
किसी समय सूरज से मिलाते,
उसकी दीप्तिमान किरणों से सर्वत्र उजियारा करते;
इस जग की सुंदरता से रूबरू हो कराते।
नील से तुम, लाल- केसरी होकर,
उसके ढल जाते ही अंधकार में अपने,
जगमगाते, टिम-टिम करते तारों का आंचल बिछाते;
उन तारों संग,
कभी-कभी उस शांत चाँद की...
किसी समय सूरज से मिलाते,
उसकी दीप्तिमान किरणों से सर्वत्र उजियारा करते;
इस जग की सुंदरता से रूबरू हो कराते।
नील से तुम, लाल- केसरी होकर,
उसके ढल जाते ही अंधकार में अपने,
जगमगाते, टिम-टिम करते तारों का आंचल बिछाते;
उन तारों संग,
कभी-कभी उस शांत चाँद की...