तो संग डोरी चल उम्र भर संग
#छाया की कहानी
बहुत ही कम समय बीता हुआ समय था
जब पग पग भूमि पर गिर गिर
चलने से हर नटखट बचपन की साथी हो तुम
जैसे-जैसे में बड़ा हुआ तुम भी संग मेरे देख देख बड़े होते रहे।
चोट मुझे लगती दर्द भी तुम्हें होता
अद्भुत रिश्ता है तेरा मेरा
मैं नश्वर शरीर रूप धारण करता बचपन से बूढ़े तक की यात्रा।
तू मेरे संग मेरी परछाई बन देखते...
बहुत ही कम समय बीता हुआ समय था
जब पग पग भूमि पर गिर गिर
चलने से हर नटखट बचपन की साथी हो तुम
जैसे-जैसे में बड़ा हुआ तुम भी संग मेरे देख देख बड़े होते रहे।
चोट मुझे लगती दर्द भी तुम्हें होता
अद्भुत रिश्ता है तेरा मेरा
मैं नश्वर शरीर रूप धारण करता बचपन से बूढ़े तक की यात्रा।
तू मेरे संग मेरी परछाई बन देखते...