सुनो न
सुनो न!
कि अब ज़िन्दगी तुम्हारे सिवा कुछ भाता नही है।
ग़ज़ल में तुम्हारे नाम के सिवा कुछ आता नही है।।
पूछते तो है लोग अक़्सर हाल-ए-दिल मगर।
जिया जाय कैसे बदहाली में कोई बताता नही है।।
कभी धूप कभी बारिश ने इनको रोका है मगर।
इस गरीब की गरीबी को किसी न रोक नही है।।
सुनो न!
कि अब ज़िन्दगी तुम्हारे सिवा कुछ भाता नही है।
ग़ज़ल में तुम्हारे नाम के सिवा कुछ आता नही है।।- वैभव रश्मि वर्मा
© merelafzonse
कि अब ज़िन्दगी तुम्हारे सिवा कुछ भाता नही है।
ग़ज़ल में तुम्हारे नाम के सिवा कुछ आता नही है।।
पूछते तो है लोग अक़्सर हाल-ए-दिल मगर।
जिया जाय कैसे बदहाली में कोई बताता नही है।।
कभी धूप कभी बारिश ने इनको रोका है मगर।
इस गरीब की गरीबी को किसी न रोक नही है।।
सुनो न!
कि अब ज़िन्दगी तुम्हारे सिवा कुछ भाता नही है।
ग़ज़ल में तुम्हारे नाम के सिवा कुछ आता नही है।।- वैभव रश्मि वर्मा
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