मिटा डालूंगा सब कुछ भी
जला यदि, दिल मुहब्बत में
जला डालूंगा, सब कुछ भी
अगर तुम, मिलने न आए
मिटा डालूंगा,सब कुछ भी
नज़र की खता है नाराज़ है तू
हमारी गिरेबा है आजाद है तू
हो सके तो, रूख पे पर्दा लगा ले अभी
अपनी दुनिया कही पे बसाले अभी
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जला डालूंगा, सब कुछ भी
अगर तुम, मिलने न आए
मिटा डालूंगा,सब कुछ भी
नज़र की खता है नाराज़ है तू
हमारी गिरेबा है आजाद है तू
हो सके तो, रूख पे पर्दा लगा ले अभी
अपनी दुनिया कही पे बसाले अभी
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