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प्रेम
भला देह के विश्लेषण से
प्रेम कहाँ परिभाषित होगा।।
अधरों पर कुछ प्यासे चुम्बन
बाहों के व्याकुल आलिंगन।।
वो यौवन में उमडी हलचल।
वो साँसों से झरता चन्दन।।।
इनमें धड़कन शामिल होगी।
नेह तभी सम्मानित होगा।।
जागे इक दिन प्यास अनूठी
देह कुंआरी कर दे जूठी।
और भुला दे शाकुन्तल को।
देकर फिर सम्राट अंगूठी।।।
अगर समर्पण हुआ तिरस्कृत।
प्यार पुनः अपमानित होगा।।।।
जो अन्तस् की गांठे खोले।।
कोमल मधुरिम भाषा बोले।।
या फूलों की जगह हार में ।।
हंसकर अपना ह्रदय पिरो ले।।
जब नदिया पर बांध बंधेगा।।
स्नेह तभी अनुशासित होगा।।।
प्रेम कहाँ परिभाषित होगा।।
अधरों पर कुछ प्यासे चुम्बन
बाहों के व्याकुल आलिंगन।।
वो यौवन में उमडी हलचल।
वो साँसों से झरता चन्दन।।।
इनमें धड़कन शामिल होगी।
नेह तभी सम्मानित होगा।।
जागे इक दिन प्यास अनूठी
देह कुंआरी कर दे जूठी।
और भुला दे शाकुन्तल को।
देकर फिर सम्राट अंगूठी।।।
अगर समर्पण हुआ तिरस्कृत।
प्यार पुनः अपमानित होगा।।।।
जो अन्तस् की गांठे खोले।।
कोमल मधुरिम भाषा बोले।।
या फूलों की जगह हार में ।।
हंसकर अपना ह्रदय पिरो ले।।
जब नदिया पर बांध बंधेगा।।
स्नेह तभी अनुशासित होगा।।।
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