...

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मुझे "अकेले" ही रहने दो।
मत करो मुझपर रहम यूँ ही तुम,
मुझे जिंदगी के ये दर्द सहने दो।

मत रोको मुझे आज तुम रोने से,
मुझे बस दर्द -ए -हाल रहने दो।

जो दफ़न कर रखे हैं खुद में ही,
आज वो सारे अल्फाज़ कहने दो।

ठहरा समंदर हूँ मैं मालूम हैं मुझे,
पर आज मुझे नदी सा बहने दो।

नही चाहिये किसी का भी साथ,
मुझे तो तुम "अकेले" ही रहने दो ।


Abhilasha Khare