सूखी नदी की वृथा
कभी मैं भी थी सजल ।
इतनी निर्मल,इतनी उज्ज्वल।।
थी मेरी धारा में कल -कल।
मुझमें जीवन की हलचल।।
प्यास मिटाने को तत्पर प्रतिपल।
शस्य जीवन था मेरा जल।।
वृक्ष कटे रहे अब हर पल।
खाली हुआ तभी...
इतनी निर्मल,इतनी उज्ज्वल।।
थी मेरी धारा में कल -कल।
मुझमें जीवन की हलचल।।
प्यास मिटाने को तत्पर प्रतिपल।
शस्य जीवन था मेरा जल।।
वृक्ष कटे रहे अब हर पल।
खाली हुआ तभी...