समेटे समेटे गिरे जा रहें हैं
समेटे समेटे गिरे जा रहें हैं
हमारा किया कुछ भरें जा रहें है
मुझे ख़ुद नहीं हैं यक़ीन-ए-वफ़ा पर
तुम्हें बेवफ़ा बोलतें जा रहें हैं
पता है हमें हम ग़लत है तभी भी
तुम्हीं से शिक़ायत करें जा रहें है
सदाएं तुम्हारी सुनी भी नहीं अब
तुम्हारी दुआएं करें जा रहे हैं
मिला ही नहीं तोड़ दिल के ज़ख़म का
पियाले नशीले भरें जा रहें हैं
निगाहें बनी 'गर नहीं आब से तो
तरश्शुह भला क्यों झरे जा रहे है
ख़ुशी ही तुम्हारी हमारी ख़ुशी है
मगर दर्द दिल के बढ़ें जा रहें है
तुम्हें भी पता है हमारी वफ़ा पर
बनें "बाद" हैं तो बहे जा रहें हैं
© Pavan