...

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समेटे समेटे गिरे जा रहें हैं

समेटे समेटे गिरे जा रहें हैं
हमारा किया कुछ भरें जा रहें है

मुझे ख़ुद नहीं हैं यक़ीन-ए-वफ़ा पर
तुम्हें बेवफ़ा बोलतें जा रहें हैं

पता है हमें हम ग़लत है तभी भी
तुम्हीं से शिक़ायत करें जा रहें है

सदाएं...