कुछ तो खोएँगे
यूँ तो ज़िन्दगी पहले भी सुकूँ से न थी
पर ख्वाबों की रातों में कोई कमी भी न थी
फिर न जाने ज़िन्दगी कैसी पराई हो कर चली
कहीं जमाने वाली ठंड रही और कहीं गर्म हवा झुलसा कर चली
ऐसे दोराहे पर ला कर आज खड़ा कर दिया है ज़िन्दगी ने
पानी काफी है लेकिन गला सुखा दिया है तिशनगी ने
उस दोराहे पर आज खड़े होकर सोच रहे हैं
बीते वक़्त की ग़लतियों को सर पीट कर कोस रहे हैं
जिस भी राह पर चलेंगे कुछ न कुछ तो खोएँगे
कहीं सुकूँ खोएँगे कहीं किसी का साथ खोएँगे
© Tanha Musafir
पर ख्वाबों की रातों में कोई कमी भी न थी
फिर न जाने ज़िन्दगी कैसी पराई हो कर चली
कहीं जमाने वाली ठंड रही और कहीं गर्म हवा झुलसा कर चली
ऐसे दोराहे पर ला कर आज खड़ा कर दिया है ज़िन्दगी ने
पानी काफी है लेकिन गला सुखा दिया है तिशनगी ने
उस दोराहे पर आज खड़े होकर सोच रहे हैं
बीते वक़्त की ग़लतियों को सर पीट कर कोस रहे हैं
जिस भी राह पर चलेंगे कुछ न कुछ तो खोएँगे
कहीं सुकूँ खोएँगे कहीं किसी का साथ खोएँगे
© Tanha Musafir