...

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कुछ तो खोएँगे
यूँ तो ज़िन्दगी पहले भी सुकूँ से न थी
पर ख्वाबों की रातों में कोई कमी भी न थी

फिर न जाने ज़िन्दगी कैसी पराई हो कर चली
कहीं जमाने वाली ठंड रही और कहीं गर्म हवा झुलसा कर चली

ऐसे...